By Ravi Kumar | Modlingua
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दक्षिण कोरिया की सरकार बूसान यूनिवर्सिटी में हिंदी भाषा को बंद करने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है, जबकि छात्र इस निर्णय के विरोध में यूनिवर्सिटी कैंपस में आंदोलन कर रहे हैं। दुर्भाग्य से, सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है।
इस विषय का एक और गंभीर पहलू यह है कि दक्षिण कोरिया एक ओर भारत में अपने बिजनेस और कंपनियों को फैलाने में रुचि रखता है, वहीं दूसरी ओर भारत की संस्कृति और भाषा — विशेष रूप से हिंदी — को हाशिए पर धकेल रहा है। यह एक रणनीतिक असंतुलन है जो भारत के 130 करोड़ लोगों और हिंदी बोलने वाले समुदाय का अपमान करता है।
ऐसा प्रतीत होता है कि यह निर्णय केवल एक अकादमिक मुद्दा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक असम्मान की साजिश का हिस्सा है। क्या यह हिंदी भाषा को नकार कर मोदी सरकार और भारतीय जनमानस की उपेक्षा करने का एक संकेत है?
मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आज शाम 8:00 बजे (21 जनवरी 2021, भारतीय समय अनुसार) Modlingua यूट्यूब चैनल पर इस गंभीर विषय पर चर्चा में जुड़ें, और दक्षिण कोरिया के छात्रों के आंदोलन में एकजुट होकर अपना समर्थन दें।
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